गीत मैँने लिखे
प्रेरणा तू ज्यों बनी
शब्द मैने चुने
भाव तू ज्यों जनी
मैँ सिपाही रहा
तू थी पूरी अनी
राग मैंने गढ़े
तू बनी रागिनी
मै अकिँचन रहा
तू थी पूरी धनी
ढूँढता मैँ रहा
तू छिपी ज्यों मनी
जब मिली ज्योति तेरी
उठ गयी लेखनी
गीत मैँने लिखे
प्रेरणा तुम बनी
प्रेरणा तू ज्यों बनी
शब्द मैने चुने
भाव तू ज्यों जनी
मैँ सिपाही रहा
तू थी पूरी अनी
राग मैंने गढ़े
तू बनी रागिनी
मै अकिँचन रहा
तू थी पूरी धनी
ढूँढता मैँ रहा
तू छिपी ज्यों मनी
जब मिली ज्योति तेरी
उठ गयी लेखनी
गीत मैँने लिखे
प्रेरणा तुम बनी
गिरिजेश"गिरि"
THE SONG
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJHErlopAhWgf1F2ci3tEQVDrYqaQYeTlmAv4Cowy4xU8WMx2zu2n8EKNwncwUVgG-4Uosq3Oof3xGGpeJRr_iN38sCSpcqlQuaoCXWG3GikuSu2UXGRcbVdcVD3LEDHMUYd0RxHyLZu4/s200/.facebook_1422377115699.jpg)
girijesh''giri'' ( pict.-from google)
No comments:
Post a Comment