Sunday, 16 August 2015
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"पिता" (The Father) पिता ज्यामिति की ऋजु रेखा नहीं है वह त्रिकोणमिति है जो आसमां में उड़ने वाले पक्षियों की ऊंचाई नाप लेता है वह ...
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मैं गाँव हूँ , पर वक्त की मार से बदल रहा हूँ हर पल पल-पल खो रहा हूँ अपना अस्तित्त्व पर मिटता नहीं मेरा वजूद क्योंकि मैं हूँ आत्मभूत...
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परम सत्ता हे विधाता हमें कुछ नहीं आता ये तो अहंकार है मानव जाति का जो खुद को खुदा से भी ऊपर समझने लगा समझ में तो तब आया ...
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सपनों का घर यदि घर को स्वच्छ रखना है तो गंदगी तो साफ करनी ही पड़ेगी किसी न किसी को उस गंदगी में हाथ डालना ही पड़ेगा किसी न किसी को उससे...
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