दूर होता जा रहा हूँ
स्वजनों से
नहीं कर पाता हूँ
सामना
मिलने पर
नहीं प्रस्फुटित होते हैं
अधरों से शब्द
आखिर क्यों
शायद हमारे लहू में भी
सामाजिक जहर
घुल रहा है
गिरिजेश ''गिरि''
we are going abroad from our close relatives
being speechless when i face them
why it is so
perhaps social poisionings are dissolving in our blood.
girijesh''giri''.
स्वजनों से
नहीं कर पाता हूँ
सामना
मिलने पर
नहीं प्रस्फुटित होते हैं
अधरों से शब्द
आखिर क्यों
शायद हमारे लहू में भी
सामाजिक जहर
घुल रहा है
गिरिजेश ''गिरि''
we are going abroad from our close relatives
being speechless when i face them
why it is so
perhaps social poisionings are dissolving in our blood.
girijesh''giri''.
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