Girijeshthepoet
गिरिजेश''गिरि''
''श्रीमद्भग्वद्गीतांजलि''
प्राक्कथन
फल की इच्छा हो कभी नहीं
औ प्रीति नहीं हो विकर्मों से
अर्थात इस गेय पद को जो पढ़ेगा या सुनेगा वह भगवन को प्रिय एवं शुभ लोकों का पात्र होगा .
प्राक्कथन
इक्कीसवीं सदी का बीसवां साल अभी चालू भी नहीं हुआ था कि संपूर्ण मानव प्रजाति के जीवन में प्रकृति ने एक तूफ़ान की दस्तक दे दी और उसके आस-पास के वायुमंडल में एक विष सा घोल दिया , वह और कुछ नहीं था ,अपितु एक विषाणु ही था जिसे चिकित्सा विज्ञानियों ने कोरोना नाम दिया था कोरोनावायरस वायरस का एक समूह है जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में बीमारी का कारण बन सकता है। SARS-CoV के रूप में जाना जाने वाला गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) वायरस स्ट्रेन कोरोनावायरस का एक उदाहरण है। एसएआरएस 2002-2003 में तेजी से फैला। कोरोनोवायरस के नए स्ट्रेन को गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) कहा जाता है। वायरस कोरोनोवायरस रोग 19 (COVID-19) का कारण बनता है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन की उत्पत्ति चमगादड़ या पैंगोलिन में हुई थी। मनुष्यों में पहला संचरण वुहान, चीन में हुआ था। तब से, वायरस ज्यादातर व्यक्ति-से-व्यक्ति के संपर्क के माध्यम से फैल गया है।
नया कोरोनोवायरस दुनिया के कई हिस्सों में तेजी
से फैल गया है। 11 मार्च, 2020 को, विश्व
स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने COVID-19 को
महामारी घोषित किया। एक महामारी तब होती है जब एक बीमारी जो लोगों को बड़े
क्षेत्रों में फैलने के लिए प्रतिरक्षा नहीं होती है। COVID-19 वाले लगभग 80% लोग विशेषज्ञ उपचार के बिना ठीक हो
जाते हैं। ये लोग हल्के, फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते
हैं। हालांकि, 6 में से 1 व्यक्ति
गंभीर लक्षणों का अनुभव कर सकता है, जैसे कि सांस लेने में
परेशानी।
चीन के वूहान शहर से निकलने वाला यह वायरस पहले चीन को फिर उसके पडोसी
मुल्कों में अपने पैर पसारा फिर धीरे-धीरे यह एशिया के अन्य देशों के साथ-साथ
यूरोपियन देशों को संक्रमित किया . तत्पश्चात यह अमेरिकी, लातीनी अमेरिका ,
अफ्रीका या यूँ कहें कि दुनिया 90% देशों को अपना शिकार बना लिया . पूरी दुनिया
में एक बहुत बड़ा संकट आ पड़ा . हर देश में लॉकडाउन जैसी स्थिति आ गयी दुनिया के सभी
देश पूरी तौर से या आंशिक रूप से बंद होने लगे . लोग अपने घरों में कैद होने के
लिए बाध्य होने लगे . यहाँ तक कि मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात होने लगे. अस्पतालों
में कोविड -19 के रोगियों के लिए बिस्तर भी उपलब्ध नहीं हो प् रहे थे . सरकारों के
द्वारा विशेष कोविद-19 के अस्पताल बनाये गए अथवा अस्थायी अस्पताल घोषित किये गए .
क्योंकि यह रोग संक्रमण से फैलता है इसलिए संक्रमण से बचने के लिए ही तरह-तरह के
प्रतिबन्ध लगाने पड़े . क्वारंटाइन सेंटर खोलने पड़े जहाँ पर संदिग्ध संक्रमित को 14
दिन अवश्य बिताना पड़ता था ताकि यदि वह कोरोना संक्रमित हो दूसरे किसी अन्य व्यक्ति
को संक्रमित न कर सके .
इसी कड़ी में हमारे देश में भी विदेश से लौटे यात्रियों के माध्यम से
पहुंचा . सर्व प्रथम केरल राज्य में इसके लक्षण वाले रोगी पाए गए . धीरे-धीरे वहाँ
से पूरे देश में फैलना शुरू हो गया . देश में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए
हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री जी ने एक प्रयोग किया वह था जनता कर्फ्यू का जिसमे
उनके द्वारा जनता से 23 मार्च को अपने घरों से बाहर नहीं निकलने की appeal की और शाम 5 बजे अपनी अपनी बालकनी से front
line वर्कर्स का ताली थाली बजा कर हौसला अफजाई
करने का आह्वान किया . जो पूर्ण रूप से सफल रहा , जिसे पूरी दुनिया देख कर दंग रह
गयी और विश्व के कोने-कोने से प्रधान मंत्री जी को बधाई के सन्देश मिलने लगे, यहाँ
तक कि कितने पश्चिमी देशों ने तो इस फोर्मुले को अपने यहाँ अप्लाई भी किया . जनता
कर्फ्यू की अपार सफलता को देखते हुए और देश वासियों की जान बचाने के लिए 25 मार्च 2020 से पूरे देश
में अचानक 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा कर दी गयी , जिससे जो जहाँ था वह वहीँ पर
रूक गया कोई घर में तो कोई बाहर , कोई देश में तो कोई परदेश में . सारे यातायात के
साधन रोक दिए गए . अति आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सब कुछ बंद हो गया . सड़कें वीरान
नज़र आने लगी . दुकान, बाज़ार, ऑफिस, देवालय, मनोरंजन केंद्र , स्कूल ,कॉलेज सब कुछ
बंद . खुले थे तो सिर्फ अस्पताल और काम कर रहे थे तो सिर्फ front line वर्कर्स .
इसके अतिरिक्त सब घरों में कैद .एक अभूतपूर्व बंदी जिसकी कल्पना कभी भी किसी ने नहीं की होगी .
कोविड-19 की इसी परिस्थिति से उपजी मानसिक अवस्था में मैंने अपनी इस
पुस्तक ‘’लॉकडाउन से अनलॉक तक’’ को लिखने
का एक क्षुद्र प्रयास किया है . जिसमें लॉकडाउन के विभिन्न चरणों से लेकर अनलॉक के
विभिन्न चरणों के दौरान आर्थिक, राजनैतिक , सामाजिक, धार्मिक , प्राकृतिक आदि
प्रभावों को उल्लिखित करने का प्रयास किया गया है कोविड-19 का प्रभाव यहीं तक
सीमित नहीं रहा इसने तो सामरिक, पारिवारिक, शैक्षणिक यहाँ तक कि वैयक्तिक स्तर पर
भी अपना प्रभाव छोड़ा. कितने लोग काल के गाल में समा गए , कितने परिवार पूरी तरह से
बर्बाद हो गए , या विखर गए . पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी , फिर भी हम
हार नहीं माने और उसी का परिणाम है कि जिस देश में लोगों को मास्क भी उपलब्ध नहीं
थे वही देश आज दुनिया को वैक्सीन की आपूर्ति कर रहा है . संकट कितना भी बड़ा हो एक
न एक दिन उसका अंत होता ही है इस महामारी ने मानव को एक नए युग का संकेत दिया है
जिसका सबसे बड़ा प्रमाण ओजोन क्षिद्र का रिकवर करना , नदियों का जल निर्मल होना आदि
यह दिखाता है कि प्रकृति के मामले में मानव का हस्तक्षेप प्रकृति को स्वीकार नहीं
, प्रकृति की कृपा पर ही जीवन संभव है इसलिए प्रकृति पर निर्भरता अपरिहार्य है
प्रकृति पर जीवन की निर्भरता को लेकर प्रस्तुत है मेरी कविता ‘’जीवन और प्रकृति ‘’
जिस पर इस विषम परिस्थिति का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है
जीवन और प्रकृति
वीरान सी जिंदगी में
शिकायतों का दौर
थम सा गया है
एक
अदृश्य विषाणु ,
जिसे सजीव कहूँ या निर्जीव ?
किन्तु
कोहराम सा मचा रखा है
चारों तरफ
एक शांत सी हलचल
जिससे हैं सब उद्वेलित
पर विवश हो गए हैं ,
खुद को कैद रखने को .
एकाएक
चिकित्सा तंत्र से
कोई आता है
और उठा लेता है
हममें से किसी एक को
फिर कुछ पता नहीं चलता
और एक दिन सूचना मिलती है कि
वे शिकार हो गए
किसी अदृश्य जीव के
मिलता कुछ नहीं
सिवा सूचना के
यहाँ तक कि
लाश भी नहीं मिलती है
आखिर
कब तक चलेगा
ये मौत का दौर
या मिलेगा कहीं ठौर ?
वैज्ञानिक भी लगा रहे हैं
अपनी एडी -चोटी का जोर
किन्तु
सफलता कहाँ तक मिलती है ?
यह भी एक प्रश्न चिह्न ही है
होगी कोई रोक-थाम ?
या
प्रकृति अपना रौद्र रूप
दिखा कर ही मानेगी
अंततः
प्रकृति ही नियति है
जिसके आगे सब हैं मजबूर
फिर भी
कोशिश करना
अपना धर्म है
जो हम निभा रहे हैं
बाकी सब कुछ तो
है उसी के हाथ
जिसके अंग तो
हम सब भी हैं
और उससे पृथक
रहा भी तो नहीं जा सकता
गिरिजेश ‘’गिरि’’
आशा है महामारी के दौरान संस्मरणात्मक शैली में लिखी यह पुस्तक पाठक
गण को अवश्य पसंद आएगी ,जैसे-जैसे समय बीतता जायेगा पुस्तक की महत्ता और बढती ही
जाएगी क्योंकि भविष्य में यह पुस्तक कोरोना काल के इतिहास का एक स्रोत भी हो सकती
है .
गिरिजेश’’गिरि’’
30/35/36 गली नम्बर 9
विश्वास नगर - दिल्ली
पिन कोड -110032
Price-150 Rs only
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