Tuesday 1 November 2016

प्रश्न चिह्न (QUESTION ?)

कैसा है
यह अजब खेल
जहाँ कटघरे में खड़ी है
जेल
जहाँ से
कैदी फरार हो सकता है
तो वह
किसी की गोलियों का
शिकार भी हो सकता है
यह
एक प्रश्न उठाता है
इस व्यवस्था पर
इस भ्रष्ट तन्त्र की असफलता पर
जिसे स्वीकारने को
कोई तैयार नहीं
बस निचले स्तर के
दो-चार कर्मचारियों पर
आरोप लगाकर
सब के सब
अपना
पल्लू झाड़ लेते हैं
आखिर कब तक
यह व्यवस्था चलेगी
कब तक हम
एक-दूसरे पर
आरोप-प्रत्यारोप
लगाते रहेंगे
हमें ढूँढना होगा
 कि
आखिर कमी कहाँ है
सिर्फ
हर दुर्घटना के पश्चात्
जाँच आयोग गठित करना
और फिर
उन्हें बहाल करने के
ढोंग से काम नहीं चलेगा
यदि व्यवस्था
नहीं बदली तो
वह दिन दूर नहीं
जब चंद सिक्कों के लिए
यह देश
बेंच दिया जायेगा
और हम फिर से
गुलाम हो जायेंगे
जिसके हम
सदियों से आदती हैं

गिरिजेश''गिरि''

QUESTION ?

How is it, this strange game. Where,prison is standing in the dock, from where if a prisoner may be escaped then he may be haunted by anyone's bullet too.This raises a question over the system. This is the failure of this corrupt system, no one is ready to accept the responsibility of it. Only allegations are imposed over two or four lower level staff getting rid off themselves. Untill when this arrangement will be continue. How long are we impose counter charges on each other. We have to find out that Where the hell is lacking.Only after every accident, to set up the Commission of an Inquiry and then reinstated them from all charges of this hypocrisy will not work. If the system would not changed, the day is not far off, in exchange of a few coins this country would be sold and we again would be slave, which we are habitual by centuries.

Girijesh''giri ''

Friday 21 October 2016

giri the poet girijesh: GIRIJESHTHEPOET.BLOGSPOT.COM/GIRI THE POET GIRIJES...

giri the poet girijesh: GIRIJESHTHEPOET.BLOGSPOT.COM/GIRI THE POET GIRIJES...: Girijeshthepoet My self                     I am an Indian citizen lives in a village of district sultanpur of uttar pradesh a m...


        https://www.facebook.com/girijeshthepoet.giri/
प्रिय पाठक गण,
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शब्दों की गहराई में उतरोगे तो ज्ञान का मोती मिलेगा।










बौखलाहट डर से पैदा होने वाली एक मानवीय प्रवृत्ति है


महान को महान कहना मजबूरीपर गलत को गलत कहना साहस



पूर्वाग्रह से ग्रसित लोगों को कोई समझा नहीं सकता


कुत्तों का भौंकना समाज में मात्र एक संदेश छोड़ता है कि आप यात्रा में अपने साथ लाठी या डंडा लेकर चलें



विषबेलियों को अगर जड़ से नहीं काटा जाता है तो उसका जहर उस पूरे वृक्ष में फैल जाता है जिस पर वे फैली होती हैं



जो खुद अपना वजूद मिटाने पर तुला हो फिर कौन बचा सकता है उसके वज़ूद को?

The persons who torture their parents never be a good parents.



Isolation is the moment of self criticism which is dangerous in life due to negativity.Isolation is the moment of self criticism which is dangerous in life due to negativity.

सच को सच तो सब कह सकते हैं पर गलत को गलत कहने के लिए जिगर चाहिए




लिख तो मैं भी सकता हूँ बहुत कुछ, पर मजबूर कुछ इस कदर हूँ कि उफ्फ भी नहीं कर सकता
जीवन जन्मदिन मनाने के लिए नहीं कुछ कर दिखाने के लिए मिला है, वरना इतिहास में तटस्थों को भी अपराधी ही माना जाता है।
ये जो बदलाव की जो बयार चल रही है इसमें खुद को बदल सको तो बदल लो वरना जो आंधी दस्तक दे रही है उसमें सब कुछ बदल जायेगा फिर मत कहना कि किसी ने बताया ही नहीं।





ये जो आग तुम लगा रहे हो , याद रहे यही आग एक दिन तुम्हें खाक कर देगी
मैं ये तो नहीं जानता कि मैं जो लिख रहा हूँ उसके शब्द आपको पसंद आये या नहीं पर इतना ज़रूर जानता हूँ कि इस बदलाव की याद अवश्य दिलाएंगे मेरे शब्द तब जबकि न तो मैं रहूं और न आप।


आपको यह समझना होगा कि आप किधर जा रहे हैं क्योंकि हर मोड़ पर रास्ते से भटकाने वाले बैठे हैं।



कितना मुश्किल होता है अपनी गल्तियों को स्वीकारनाजो व्यक्ति अपनी गल्तियों को स्वीकार करना सीख गया , महात्मा बन गया !!!

शतरंज और राजनीति में हर हारने वाले को यह लगता है कि वह जीत के बहुत करीब है, पर अंततः वह मात खा ही जाता है !!!




ये जरूरी नहीं है कि जो मैं सोचता हूँ वो गलत नहीं हो सकता पर ये भी जरूरी नहीं कि जो आप सोचते हो वो भी सही ही हो।



गलती तो गलती ही है चाहे जाने में हो या अनजाने में फर्क बस इतना है कि अनजाने में की गयी गलती क्षम्य है और जानबूझ कर की गई गलती अपराध है।
      
यह समझना होगा कि आप किधर जा रहे हैं क्योंकि हर मोड़ पर रास्ते से भटकाने वाले बैठे हैं।

यदि आप किसी के चेहरे पर मुस्कान नहीं ला सकते तो कम से कम किसी की आँखों में आँसू भी मत लाइये , क्योंकि अंततः वह आप के लिए भी दुखदायी ही होता है ,भले ही वह अज्ञान के कारण दिखे न ।

        
जब व्यक्ति को यह भान हो जाये कि वह जो कुछ करता,कहता अथवा विचारता है, एकमात्र वही सत्य है , तो यह समझ लेना चाहिए कि वह अहं से आवृत हो रहा है जो उसे विनाश की तरफ ले जाता है।


है नहीं परवाह मुझको,क्या करोगे इस जहां में,
हो चुका स्थान निश्चित मेरा तो है उस जहां में

जिस दिन तुम मुझे समझ जाओगे अपनी ही निगाहों में गिर जाओगे।


यदि हम एक भी व्यक्ति को गलत राह से सही राह पर चलने के प्रेरित कर सकें तो हमारा जीवन धन्य हो जायेगा

ये जो फितरत है तुम्हारी वो हम सब कबके समझ चुके हैं, अफसोस है कि तुम ख्वाबों में जी रहे हो।


सोच रही कब होगा अंत कब आएगा मधुर बसंत???

बहुत झकझोरेंगे मेरे शब्द जब मुसीबत दरवाजे पर खड़ी होगी।



जिसके अंदर की मानवता मर चुकी है वो मनुष्य के रूप में पशु ही है।

आशा की लकीरें धीरे धीरे क्षीण हो रही हैं नीरव गगन में मानों दूरियों ने ही तय कर दिया है उनके वज़ूद को


बांटते रहो रेवड़ियाँ जब खत्म हो जाएगी तब क्या बांटोगे क्योंकि लेने वालों की संख्या कभी ना खत्म होने वालों की है।


कुछ लोग ऐसा क्यों समझते हैं कि उनके पास विशेषाधिकार है इस देश में क्या उनके पास देश के नागरिक होने से बड़ी कोई शक्ति है या कोई देवत्व है उनमें??? मेरी समझ में नहीं आता, यदि आपकी समझ में आता हो तो कृपया हमें भी बताइयेगा।


पूर्वाग्रह से ग्रसित लोगों को कोई समझा नहीं सकता



Social media is a game of like , share and comments.
We should use block too.


हम छोटे इसलिये जो कहें वो गलत और आप बड़े इसलिए आप जो कहें वो सही । ये जरूरी नहीं है।

आज का धनवान स्वयं को बुद्धिमान समझता है
यह दुर्भाग्य है



Superstition is generated from illiteracy.
This is the time of symbolism so kindly symbolise thy culture.





Sunday 2 October 2016

सब्र का इम्तिहान (Test of patience)

कितना मुश्किल होता है
सब्र करना
तुम रोज हमें चोट पहुंचाते हो
और चाहते हो
कि हम उफ़ तक न करें
ये कैसे संभव है
ये तो तभी संभव है
जब हमारी धमनियों में
रक्त की जगह पानी हो
जबकि तुम
ये भी अच्छी तरह से जानते हो
कि हम कायर नहीं
अपितु सहिष्णु हैं
जिसे तुम हमारी
कमजोरी समझ बैठे
ठीक एक जिद्दी बच्चे सा
आचरण करने लगे
इतिहास गवाह है
कि जब भी हमारे
सब्र का  बाँध टूटा है
दुश्मनों को
मुंह की खानी पड़ी है
आज भी वही हुआ है
ये तुम्हें अल्लाह की दुआ है
की अभी तक तुम्हारा वजूद
कायम है
इसमें तुम्हारा कोई योगदान नहीं है
बल्कि हमारी संस्कृति, परम्परा
हमें ऐसा करने से रोकती है
हम मानवता का वध करना
नहीं चाहते हैं
पर हैवानियत भी
बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं
इसलिए
एक छोटा सा सन्देश
देना जरूरी है
सो हमने दिया
इस पर भी
यदि नहीं संभले
तो हो जाओ तैयार
शांति के लिए यदि युद्ध अपरिहार्य है
तो शांति की स्थापना के लिए
हम वो भी करेंगे
जिसकी जरूरत होगी
हम भारत माता के वो सच्चे सपूत हैं
जो वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते हैं
जियो और जीने दो हमारा नारा है
और जो भी शान के साथ हमारे जीने में
खलल डालेगा
उसका वजूद मिटाने हमें आता है
विश्वास न हो तो
इतिहास के पन्नों को पलट कर देख लो
इसलिए एक बार फिर हम कहते हैं
हमारे सब्र का इम्तिहान न लो
जय हिन्द 

गिरिजेश’’गिरि’’   

TEST OF PATIENCE

How it is difficult, to have patience. You have hurt us everyday and want, do not we say oops yet. How is this possible? This is only possible, when our arteries have water instead of blood. Although you know it very well that we are not coward but tolerant which is taken by thee as our weakness . It is just a bit stubborn child's conduct. History provoked it that whenever our dam of  patience is broken enemies had to be worsted. Same is happened today. It is the grace of Allah  that you are in the existence yet butIt is not any of your contribution but it is our culture and traditions which prevents us to do so. We don't want to kill humanity but cannot afford brutalism too.Henc a small message is necessary,  so we have given.  If you have not  made thyself correct then get ready. If war is inevitable for peace,to establish peace we will do that too which will be needed. We  are true son of Mother India who believe that whole world is a family. Live and let live is our slogan,  and with the pride in our live who will disturb, we know very well how to erase his existence. If thee have problem to believe then go through the pages of history. So once again we say that do not test our patience.
Jai hind

Girijesh''giri '

प्राण-प्रतिष्ठा

  प्रभु प्राण-प्रतिष्ठा के पल प्रभु राम का नाम जपो अबहीं मुकती मिलिहैं सबै तबहीं शत पांच वरष इन्तजार कियो तबहीं दिन आज मयस्सर भयों ...