Saturday, 7 December 2024

 "पिता" (The Father)

पिता
ज्यामिति की ऋजु रेखा नहीं है
वह त्रिकोणमिति है
जो आसमां में उड़ने वाले पक्षियों की
ऊंचाई नाप लेता है
वह क्वांटम फिजिक्स है
जो जटिल से जटिल समस्याओं का
हल ढूंढ़ लेता है
वह साधारण कांच नहीं है
अपितु दर्पण है
जो आने वाले हर संकट को
परावर्तित कर देता है
वह अम्ब्रेला है
जो परिवार के हर सदस्य को
धूप वर्षा से बचाता है
वह पहिया है
जो जीवन की गाड़ी को
आगे ले जाता है
वह हैंड ब्रेक है
जो जीवन की गाड़ी को
पीछे जाने से रोकता है
पिता वह धागा है
जो जीवन के
हर पैबंद को सीता है
पिता वह अमरबेल है
जिसके नीचे परिवार के हर सदस्य
खुद को निरोग समझते हैं
पिता वह मालवाहक है
जो पूरे परिवार का
बोझ ढोता है
पिता आशा की वह किरण है
जिसमें परिवार के सदस्यों का
जीवन उदभासित होता है
पिता एक मात्र रिश्ता नहीं है
अपितु सारे रिश्तों का स्रोत है
पिता शोषक नहीं
अपितु पोषक है,पालक है
सभी कष्टों का निवारक है
वो पिता ही है
जो जीवन के सारे जहर को
पीता है,और उफ्फ तक नहीं करता
वह ईश्वर तो नहीं
किंतु ईश्वर से कम भी नहीं
या यूं कहें कि
धरती पर वह ही ईश्वर है।
गिरिजेश"गिरि"
07/12/2024

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